खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए कहा- मुझे मारना चाहता है भारत, बाइडन प्रशासन की आलोचना की
10 अक्टूबर 2024, न्यूयॉर्क: खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखे आरोप लगाए हैं, जिसमें उसने कहा कि भारतीय खुफिया एजेंट उसकी हत्या की योजना बना रहे हैं। पन्नू ने बाइडन प्रशासन की नीतियों की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि अमेरिका भारत सरकार को रोकने में असफल रहा है। अमेरिका और कनाडा का नागरिक होने के नाते, पन्नू भारत के खिलाफ अपनी भड़काऊ बयानबाजी जारी रखता है। पिछले वर्ष अमेरिका ने दावा किया था कि भारत से जुड़े एजेंटों ने पन्नू की हत्या की कोशिश की थी।
पन्नू ने अमेरिका सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “जोखिम में वृद्धि हो रही है। मोदी सरकार पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाला गया है। उन्हें जवाबदेह नहीं ठहराया गया है, इसलिए वे अपनी गतिविधियाँ जारी रखेंगे।” भारत सरकार ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है और उसके संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद, अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकवादियों को शरण दी है, जबकि मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ विभिन्न देशों में सैन्य कार्रवाई की जा रही है।
भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़े प्रभाव की चर्चा करते हुए पन्नू ने बताया कि भारतीय अधिकारियों के खिलाफ हत्या की साजिश के आरोपों ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा दिया है। न्यूयॉर्क के दक्षिणी जिले में एक अभियोग पत्र जारी किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निखिल गुप्ता नामक एक भारतीय नागरिक को एक सरकारी कर्मचारी ने पन्नू की हत्या करने के लिए भर्ती किया था। उस समय, पन्नू का समूह भारतीय प्रवासी समुदायों में खालिस्तान जनमत संग्रह का आयोजन कर रहा था। हालांकि, गुप्ता ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को गलत बताया है।
कनाडा ने भी भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया। निज्जर, जो भारत में आतंकवादी घोषित था, की हत्या सरे के गुरुद्वारे के बाहर की गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या को लेकर भारत पर आरोप लगाए, जिसे भारत ने निराधार बताया। इससे भारत और कनाडा के बीच रिश्ते और अधिक खराब हो गए हैं, और दोनों देशों ने एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिकों को निष्कासित किया है।
इन घटनाओं ने न केवल पन्नू की बयानबाजी को उजागर किया है, बल्कि भारत और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते तनाव को भी रेखांकित किया है। अब देखना यह है कि इस स्थिति का समाधान कैसे निकाला जाता है और क्या बाइडन प्रशासन भारत पर दबाव डालने में सफल होगा।