Bangladesh Riots-कतर में पाकिस्तानी और अमेरिकी अफसरों से मिले बांग्लादेशी छात्र नेताओं के खुलासे: ISI की भूमिका पर सवाल
4 सितंबर 2024, ढाका: बांग्लादेश में हाल के महीनों में राजनीतिक उथलपुथल के चलते कई घटनाएं सामने आई हैं। इस साल जून और जुलाई में राजधानी ढाका और अन्य शहरों में छात्रों के आरक्षण मुद्दे पर शुरू हुए आंदोलनों ने तेजी से हिंसक रूप ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप 5 अगस्त को शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इस असामान्य राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे विदेशी शक्तियों की भूमिका की आशंका जताई जा रही है, और अब एक नई रिपोर्ट ने इस मामले में पाकिस्तान और अमेरिका की संलिप्तता का खुलासा किया है।
रिपोर्ट में पाकिस्तानी और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों से बांग्लादेशी छात्रों की मुलाकात का खुलासा
नॉर्थ ईस्ट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन नेशनल सिक्योरिटी नेटवर्क ने बांग्लादेश के अंदर और बाहर से मिली सूचनाओं के विभिन्न पहलुओं को जोड़ते हुए पाया है कि बांग्लादेशी छात्र संगठनों के ‘कोऑर्डिनेटर’ बने कुछ छात्र पिछले एक साल में कई बार पाकिस्तान, दुबई और कतर का दौरा कर चुके हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन छात्रों की मुलाकातें पाकिस्तान और अमेरिका के खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों से हुई थीं। इन छात्र नेताओं की अगुवाई में इस साल बांग्लादेश में आंदोलनों को हवा मिली, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को बदलने में सफलता प्राप्त हुई।
पाकिस्तान और अमेरिका के संपर्क में आने वाले छात्र नेता को मिला महत्वपूर्ण पद
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मोहम्मद महफूज आलम को अंतरिम सरकार में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस का विशेष सहायक नियुक्त किया गया है। आलम उन छात्रों में शामिल था जिन्होंने पाकिस्तान और अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की। रिपोर्ट के अनुसार, छात्रों को विभिन्न तारीखों पर विदेश यात्रा कराई गई ताकि बांग्लादेशी खुफिया एजेंसियों को शक न हो। एक सेवानिवृत्त आईएसआई लेफ्टिनेंट जनरल को बांग्लादेशी छात्रों के संपर्क में आने का जिम्मा सौंपा गया था, और उन्होंने कई बार बांग्लादेश का दौरा किया।
दोनों देशों के अधिकारियों से मुलाकात और बांग्लादेशी राजनीति पर प्रभाव
पाकिस्तानी सेवानिवृत्त आईएसआई लेफ्टिनेंट जनरल ने अप्रैल और सितंबर 2023 के बीच कतर के दोहा में बांग्लादेशी छात्रों के एक समूह से मुलाकात की, जब अमेरिकी विदेश विभाग और तत्कालीन राजदूत पीटर हास शेख हसीना सरकार पर ‘निष्पक्ष चुनाव’ कराने का दबाव बना रहे थे। भारतीय सुरक्षा अधिकारियों को संदेह है कि कुछ अमेरिकी नागरिक भी दोहा में उसी होटल में ठहरे थे जहां बांग्लादेशी छात्र रुके थे और उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत की थी। यह भी संदेह है कि बांग्लादेश के एक सामाजिक विकास क्षेत्र के पेशेवर ने भी छात्रों के साथ दोहा में मुलाकात की थी और अब वह अंतरिम सरकार में महत्वपूर्ण पद पर है। भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि हसीना को मई 2024 में अमेरिकी ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई थी, लेकिन वह भी साजिश की पूरी गहराई को समझने में असमर्थ रही।