Badaun में जामा मस्जिद या नीलकंठ महादेव मंदिर? अदालत में बहस पूरी नहीं, अब 10 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
4 दिसंबर 2024, बदायूं– संभल के बाद अब बदायूं की जामा मस्जिद भी चर्चा में है। हिंदू नेता मुकेश पटेल द्वारा मस्जिद के स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर होने के दावे को लेकर मंगलवार को अदालत में बहस पूरी नहीं हो सकी। इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
दरअसल, 2022 में हिंदू नेता मुकेश पटेल ने दावा किया था कि बदायूं की जामा मस्जिद पहले नीलकंठ महादेव मंदिर का हिस्सा थी और उन्होंने इस संबंध में अदालत में केस दायर किया था। मंगलवार को कोर्ट में हिंदू पक्ष ने प्रतिवादी पक्ष से सवाल किया कि वे सर्वे कराने से क्यों डर रहे हैं। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अनवर आलम ने कहा कि सर्वे का आदेश देकर सिर्फ माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।
तीन दिन पहले शनिवार को मस्जिद पक्ष की इंतजामिया कमिटी ने अपनी बहस शुरू की थी। इस कमिटी के वकील अनवर आलम ने मंगलवार को भी अपना पक्ष रखा, लेकिन बहस पूरी नहीं हो सकी। अब मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी, जहां यह तय होगा कि मामला सुनने योग्य है या नहीं।
यह मामला बदायूं के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में विचाराधीन है। सरकार के पक्ष से बहस पूरी हो चुकी है, और मंगलवार को हिंदू पक्ष की याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखी।
मुस्लिम पक्ष के वकील अनवर आलम ने कहा, “यह मामला सुनने योग्य नहीं है। हिंदू महासभा को इसमें केस दायर करने का कोई अधिकार नहीं है। जब वे खुद कह रहे हैं कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, तो इसका मतलब है कि वहां पर मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं था।” उन्होंने आगे कहा कि वादी का नाम नीलकंठ महादेव किया गया है, जबकि वादी प्रत्यक्ष व्यक्ति होता है।
हिंदू पक्ष के वकील विवेक रेंडर ने कोर्ट के बाहर कहा, “मुस्लिम पक्ष अपनी बहस कर रहा है, और इसके बाद हम अपना पक्ष रखेंगे। अगर वहां मंदिर का अस्तित्व नहीं था, तो मुस्लिम पक्ष सर्वे कराने से क्यों डर रहा है?”
क्या है पूरे मामले का बैकग्राउंड-
2 सितंबर 2022 को बदायूं सिविल कोर्ट में भगवान श्री नीलकंठ महादेव महाकाल (ईशान शिव मंदिर) की तरफ से एक याचिका दायर की गई थी। इसमें जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, ASI, केंद्र सरकार, यूपी सरकार, बदायूं कलेक्टर और प्रदेश के मुख्य सचिव को पार्टी बनाया गया।
याचिका में दावा किया गया कि बदायूं की जामा मस्जिद के स्थान पर पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था, और उस मंदिर में शिवलिंग स्थापित था, जिसे मस्जिद बनाते वक्त हटा दिया गया। कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया था, और अब दो साल से यह मामला अदालत में चल रहा है, जहां दोनों पक्षों की सुनवाई जारी है।