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22nd December 2024

Shri Krishna Janmashtami– (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) इस दुर्लभ योग में करें पूजा, कान्हा देंगे विशेष कृपा

Shri Krishna Janmashtami – (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) इस दुर्लभ योग में करें पूजा, कान्हा देंगे विशेष कृपा

21 अगस्त 2024, नई दिल्ली– इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर दुर्लभ योग का संयोग बन रहा है, जिससे भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है। जन्माष्टमी के इस पावन अवसर पर भक्तों के लिए विशेष पूजा-विधि और उपाय सुझाए गए हैं, जिससे वे कान्हा को अपने घर बुला सकते हैं।

व्रत और संकल्प की महत्ता

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्ति, स्वास्थ्य, संतान, और शांति के लिए संकल्प लेकर व्रत करना चाहिए। यह व्रत सभी रोगों और शोकों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। संध्या समय भगवान के लिए झूला सजाकर बालकृष्ण को उसमें झुलाने का विशेष महत्व है।

पूजन की विधि

संध्या के समय भगवान श्रीकृष्ण के लिए झूला सजाकर, उन्हें झुलाने के बाद आरती करें। इसके बाद पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें, जिसमें दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का उपयोग होता है। पंचामृत का सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सभी प्रमुख ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।

रात्रिकालीन पूजा और उपाय

रात्रि 12 बजे खीरे में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कराकर उत्सव मनाएं। इस समय भगवान का पंचामृत से स्नान कराना अत्यंत लाभकारी होता है। व्रती को संयम और नियम का पालन करना चाहिए। अस्वस्थ लोग व्रत से बचें। कहा जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

विशेष उपाय

इस जन्माष्टमी पर विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी अर्पित करने का विधान है। मुरली, यानी बांसुरी, भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय वस्तु है। यदि आप ग्रहदशा से पीड़ित हैं, तो एक बांसुरी में चीनी भरकर पीपल के पेड़ के नीचे दबा दें। इस उपाय से आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी।

दुर्लभ योग का विशेष महत्व

इस वर्ष जन्माष्टमी पर अर्द्धरात्रिव्यापिनी अष्टमी तिथि, सोमवार, रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस विशेष योग में की गई पूजा और व्रत से भक्तों को विशेष फल प्राप्त होंगे। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति, मनोकामना पूर्ति और व्रत के लिए अत्यंत शुभ है।

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