GANESH PUJA-गणेश चतुर्थी पर तुलसी की पूजा क्यों नहीं की जाती? जानें इसके पीछे की रहस्यमयी कथा
08 सितंबर 2024: गणेश चतुर्थी, हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से महाराष्ट्र में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व के दौरान भगवान गणेश की पूजा की जाती है, लेकिन एक दिलचस्प परंपरा है कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता। आइए जानते हैं इसके पीछे की रहस्यमयी कथा और इसके कारण।
भगवान गणेश और तुलसी का संबंध
धर्मग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है, और श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं। तुलसी, जो भगवान विष्णु की प्रिय भक्त मानी जाती हैं, का विवाह शालिग्राम से हुआ था। इसके बावजूद, गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग वर्जित है। इसके पीछे की कहानी कुछ इस प्रकार है:
जब भगवान गणेश गंगा के तट पर तपस्या में लीन थे, देवी तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा की और गंगा के किनारे पहुंची। वहां उन्होंने गणेश जी को तपस्या में मग्न देखा और उनके प्रति आकर्षित हो गईं। तुलसी ने गणेश जी से विवाह का प्रस्ताव दिया।
गणेश जी ने तपस्या में विघ्न डालने को अशुभ मानते हुए प्रस्ताव को ठुकरा दिया और खुद को ब्रह्मचारी बताकर विवाह करने से मना कर दिया। इस पर देवी तुलसी ने गणेश जी को दो विवाह होने का श्राप दे दिया। गणेश जी ने भी तुलसी को जवाब में श्राप दिया कि उनका विवाह एक असुर, शंखचूड़ से होगा और इस प्रकार गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग शुभ नहीं होगा।
परंपरा का प्रभाव
इस प्रकार, गणेश चतुर्थी के पर्व पर भगवान गणेश की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित माना जाता है। यह परंपरा आज भी निभाई जाती है, और गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, लेकिन तुलसी को इसमें शामिल नहीं किया जाता।