PM MODI के Water Hero Rambabu Tiwari कौन है, जिनकी प्रधानमंत्री ने “मन की बात” में सराहना की
बुंदेलखंड के बांदा जिले से ताल्लुक रखने वाले राम बाबू तिवारी का नाम जल संरक्षण के क्षेत्र में एक प्रेरणास्तंभ के रूप में उभर कर सामने आया है। महज 17 साल की उम्र में जल संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाने वाले तिवारी को आज देशभर में ‘वाटर हीरो’ के नाम से जाना जाता है। अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों में जल संकट की विकट स्थिति को देख उन्होंने अपने जीवन को जल संरक्षण के मिशन में समर्पित कर दिया। उन्होंने न केवल जल की महत्ता को समझा बल्कि अपनी मेहनत से समाज में जागरूकता लाने का प्रयास किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने जल संरक्षण को एक जन आंदोलन में परिवर्तित कर दिया है। उनके अथक प्रयासों को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में सराहा, जिससे उनका मिशन और अधिक सशक्त हुआ। तिवारी के इस अभियान से प्रेरित होकर अब कई युवा भी उनके साथ जुड़ रहे हैं। जल संकट से निपटने के उनके प्रयासों ने उन्हें समाज में एक मिसाल बना दिया है ।
जल संरक्षण को लेकर राम बाबू तिवारी के संघर्ष गाथा के बारें विस्तृत बातचीत की NEWS CABBINET की युवा पत्रकार तमन्ना रंजन ने
प्रश्न 1: आपने महज़ 17 साल की उम्र में जल संरक्षण का काम शुरू किया। इस मिशन की शुरुआत करने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?
उत्तर: जल संरक्षण की प्रेरणा मुझे अपने गांव और आस-पास के क्षेत्रों में जल संकट की समस्या से मिली। जब मैंने देखा कि मेरी मां और गांव की अन्य महिलाएं पानी भरने के लिए लंबी दूरी तय करती थीं, तो मुझे जल की कीमत और इसकी आवश्यकता का अहसास हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ते हुए, जब उन्होंने देखा कि लोग नहाने के लिए बहुत सारा पानी बर्बाद कर रहे हैं, तो उन्हें लगा कि अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए, तो ये पानी बचाया जा सकता है। इस कठिनाई ने मुझे प्रेरित किया कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे पानी की कमी दूर हो सके और लोगों का जीवन आसान हो।
प्रश्न 2: मां और गांव की दूसरी महिलाएं कुएं से पानी भरने के लिए लंबी दूरी तय करती थीं। उस समय के अनुभव ने आपके जल संरक्षण के काम पर कैसे असर डाला?
उस समय का अनुभव मेरे दिलो-दिमाग में गहराई से बैठ गया। मैं रोज़ देखता था कि पानी की कमी के कारण हमारी माताओं और बहनों को कितनी कठिनाई होती है। यह देख कर मुझे लगा कि यदि पानी बचाने के लिए सही कदम उठाए जाएं, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों को यह संघर्ष नहीं करना पड़ेगा। इसीलिए मैंने जल संरक्षण को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया।
प्रश्न 3:आपके शुरुआती प्रयासों में सबसे बड़ी चुनौतियां क्या थीं, और आपने उन्हें कैसे पार किया?
उत्तर: मेरे शुरुआती प्रयासों में सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को समझाना कि पानी बचाना क्यों ज़रूरी है। कई लोग जल संरक्षण के महत्व को नहीं समझते थे और इसे एक गैर-जरूरी काम समझते थे। जब मैंने कॉलेज में इस बारे में जागरूकता फैलाने की कोशिश की, तो वहां के लोग मेरा मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि ये सब अपने गांव में करना चाहिए। यहां तक कि मेरे परिवार और रिश्तेदारों ने भी मेरे इस काम को लेकर मजाक बनाया। लेकिन मैंने धीरे-धीरे सभी को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए, पानी चौपाल किया, नुकड़ नाटक देखिये और उदाहरणों के जरिए उन्हें इस बात की गंभीरता समझाने की कोशिश की। यह आसान नहीं था, परंतु समय के साथ लोग मेरी बात को समझने लगे और मेरे प्रयासों का समर्थन करने लगे।
प्रश्न 4: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मन की बात’ में आपके काम की सराहना करने पर आपको कैसा महसूस हुआ? इसका आपके मिशन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: प्रधानमंत्री द्वारा ‘मन की बात’ में मेरे काम का ज़िक्र करना मेरे लिए गर्व और उत्साह का क्षण था। यह सम्मान न केवल मेरे लिए बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी था जो मेरे साथ इस मिशन में जुड़कर काम कर रहे हैं। किसानों ने भी जल संरक्षण के महत्व को समझा और अपने खेतों में पानी की बचत के लिए नए तरीकों को अपनाया, जिससे हमारे मिशन को व्यापक सफलता मिली। इससे लोगों में जागरूकता बढ़ी और अधिक लोग इस मिशन में जुड़ने लगे।
प्रश्न 5: जल संरक्षण के लिए भविष्य में आपकी क्या योजनाएं हैं? क्या आप किसी नए अभियान पर काम कर रहे हैं?
उत्तर: भविष्य में मेरा उद्देश्य अधिक गांवों और कस्बों में जल संरक्षण के प्रभावी तरीके लागू करना है। मैं वर्षा जल संचयन और पानी के पुनःचक्रण को बढ़ावा देने के लिए अभियान पर काम कर रहा हूं। इसके अलावा, मेरी योजना है कि स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं के साथ काम करूं ताकि वे जल संरक्षण के महत्व को समझ सकें और अपने समुदाय में इसे आगे बढ़ा सकें।
प्रश्न 6: आपका जल संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं के लिए क्या संदेश होगा? उत्तर: मेरा युवाओं के लिए संदेश है कि पानी की कीमत को समझें और इसे बचाने के लिए अपने स्तर पर योगदान दें। छोटी-छोटी आदतें, जैसे कि नल को खुला न छोड़ना, वर्षा जल संचयन करना और पानी का पुनःचक्रण करना, हमारे जल संकट को हल करने में मदद कर सकती हैं। युवा ही हमारे देश का भविष्य हैं, और उनकी भागीदारी से जल संरक्षण का यह मिशन निश्चित रूप से सफल हो सकता