Eye -15 मिनट में चश्मा उतारने का दावा करने वाली आई ड्रॉप पर बैन, जानें सरकार का आदेश
नई दिल्ली, 11 सितंबर 2024 – केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में 15 मिनट के भीतर नजदीकी दृष्टि को सुधारने का दावा करने वाली PresVu Eye Drop की निर्माण और बिक्री पर रोक लगा दी है। यह फैसला मुंबई स्थित Entod फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित इस आई ड्रॉप के दावों को न्यू ड्रग्स एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल्स, 2019 का उल्लंघन मानते हुए लिया गया है। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने अपने आदेश में कहा है कि Pilocarpine Hydrochloride Ophthalmic Solution को वयस्कों में प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए स्वीकृत किया गया था, लेकिन कंपनी ने जिस तरह के दावे किए हैं, उनके लिए आवश्यक मंजूरी नहीं ली गई थी।
कंपनी ने क्या दावा किया था?
Entod फार्मा ने दावा किया था कि PresVu Eye Drop एक आधुनिक विकल्प है जो 15 मिनट के भीतर नजदीकी दृष्टि को बढ़ाता है और चश्मे की आवश्यकता को कम करता है। कंपनी का कहना था कि यह देश का पहला आई ड्रॉप है जो प्रेसबायोपिया से पीड़ित लोगों के लिए चश्मे की निर्भरता को घटा सकता है। इस आई ड्रॉप के प्रभाव से चश्मा हटाने का दावा किया गया था और दवा डालने के बाद प्रभाव 15 मिनट के अंदर दिखने लगेगा। इस दावे के चलते, उत्पाद के प्रति लोगों में काफी उत्सुकता पैदा हुई और मीडिया और सोशल मीडिया पर इस पर चर्चा होने लगी। लेकिन, औषधि महानियंत्रक के आदेश ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कंपनी को इस प्रकार के दावे करने का अधिकार नहीं दिया गया था।
प्रेसबायोपिया क्या है?
प्रेसबायोपिया उम्र बढ़ने की प्रक्रिया का एक सामान्य हिस्सा है, जिसमें पास की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि उम्र बढ़ने के साथ होने वाली प्राकृतिक कमी है। इसे चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। प्रेसबायोपिया के कारण आंख के लेंस की लचीलापन कम हो जाता है, जिससे प्रकाश सही तरीके से केंद्रित नहीं हो पाता और धुंधली छवि बनती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाया कि कंपनी ने अनधिकृत प्रचार किया, जिससे रोगियों में असुरक्षित उपयोग की संभावना और जनता के लिए सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न हुईं। इसे ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं की तरह प्रस्तुत किया गया, जबकि इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन दवा के रूप में ही स्वीकृत किया गया था। 10 सितंबर को जारी आदेश में, सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने बताया कि प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑप्थेल्मिक सॉल्यूशन की अनुमति 20 अगस्त को दी गई थी, लेकिन 4 सितंबर को दावों के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया। कंपनी ने जवाब दिया कि प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए भारत में कोई अन्य आई ड्रॉप स्वीकृत नहीं है, लेकिन कंपनी के दावे को सही ठहराने में असफल रही।
विशेषज्ञ की राय
वरिष्ठ आई सर्जन डॉ. राजीव गुफ्ता के अनुसार, यह आई ड्रॉप वास्तव में पिलोकार्पिन है, जिसका उपयोग ग्लूकोमा के इलाज के लिए किया जाता है। इसके प्रयोग से नजदीकी दृष्टि की समस्याओं के लिए चश्मे की आवश्यकता कम हो सकती है, लेकिन इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। डीसीजीआई द्वारा इसकी बिक्री पर रोक लगाना एक सही कदम है।