Financial Journalism(वित्तीय पत्रकारिता)- मीडिया की भूमिका और भविष्य की दिशा
वित्तीय पत्रकारिता का क्षेत्र देश की आर्थिक स्थिति, नीति और विकास से सीधे जुड़ा हुआ है, और इसका समाज पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक पत्रकार के रूप में, वित्तीय पत्रकारिता का दायित्व केवल आंकड़ों और तथ्यों को प्रस्तुत करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इनकी व्याख्या और प्रभाव को सरल, सटीक और प्रभावशाली तरीके से समझाना भी है। इस लेख में, हम एक वित्तीय पत्रकार की दृष्टि से मीडिया की भूमिका, उनके शोध और विश्लेषण के तरीके, और वे विषय जिन पर वे भविष्य में काम करना चाहते हैं, पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, इस क्षेत्र में जागरूकता फैलाने और वित्तीय साक्षरता को बढ़ाने में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया जाएगा।
इन तमाम सारे विषयों पर शिशिर सिन्हा जी(Associate Business Editor THE HINDU (Mutual Fund ,पर्सनल फाइनेंस और शेयर मार्केट क एक्सपर्ट) के साथ बातचीत की युवा पत्रकार श्रुति पाण्डेय ने
प्रश्न 1- वित्तीय पत्रकारिता में मीडिया की भूमिका को आप कैसे देखते हैं?
उत्तर: – मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर जब हम 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की बात करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि 2027 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनें लेकिन आम जनता के लिए यह समझना कठिन है कि इस लक्ष्य का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। हमारा काम है कि हम लोगों को सरल भाषा में समझाएं कि $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने से प्रति व्यक्ति आय में क्या बदलाव आएगा और इसका समाज पर क्या असर पड़ेगा। भारत में वित्तीय साक्षरता और आर्थिक ज्ञान बहुत कम है, इसलिए मीडिया का दायित्व है कि वह इस जानकारी को आसान और प्रभावशाली तरीके से लोगों तक पहुंचाए।
प्रश्न 2: किसी वित्तीय मुद्दे पर शोध या विश्लेषण करते समय आप कौन से तरीके अपनाते हैं?
उत्तर: हम गुणात्मक (qualitative) पहलू पर अधिक ध्यान देते हैं क्योंकि मात्रात्मक (quantitative) जानकारी को सरल तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। सिर्फ आंकड़े देने से कहानी खत्म नहीं होती, बल्कि असली कहानी उन आंकड़ों के पीछे छिपी होती है। हमें इन आंकड़ों के पीछे की कहानी खोजनी होती है। वहीं, आंकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए इनोवेटिव तरीकों का उपयोग करना चाहिए, जैसे कि बार ग्राफ या चार्ट, जिससे आम जनता के लिए यह समझना आसान हो।
प्रश्न 3: ऐसे कौन से वित्तीय विषय या प्रवृत्तियां हैं जिन पर आप भविष्य में काम करना चाहेंगे?
उत्तर: हम सर्वेक्षण करते हैं कि लोग कौन से विषय सबसे अधिक पढ़ते या फॉलो करते हैं। इसमें हमें आठ प्रमुख विषय मिलते हैं:
1. मूल्य- कौन सी चीज महंगी है और कौन सी सस्ती।
2. नए उत्पाद – लोग नई चीजों के बारे में जानने में रुचि रखते हैं, भले ही वे उसे खरीद न सकें।
3. बाजार में प्रवृत्तियां- जैसे, हरियाणा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जलेबी का जिक्र किया और वह चर्चा का विषय बन गया।
4. शेयर बाजार – लोग शेयर बाजार की गतिविधियों को जानना चाहते हैं।
5. कर (टैक्सेशन)- कर दरों में बदलाव या कर से संबंधित जानकारी।
6. बैंकिंग – कहां पैसा जमा करना है या कहां से ऋण लेना है।
7. कॉर्पोरेट और सामाजिक जीवन – बड़े उद्योगपतियों का जीवन।
इन विषयों को प्रस्तुत करने में नवाचार (innovation) बेहद जरूरी है।
प्रश्न 4: ऐसे कौन से वित्तीय विषय हैं जो कम आंके जाते हैं या गलत समझे जाते हैं?
उत्तर: एक बड़ा विषय *ब्याज दर* है, जिसे लोग समझ नहीं पाते। यदि बैंक 2.5% ब्याज दे रहा है और कोई 10% देने का वादा कर रहा है, तो लोग सवाल नहीं उठाते कि यह कैसे संभव है। दूसरा विषय है *जीडीपी*, जिसे लोग अक्सर किसी वस्तु के मूल्य से जोड़कर देखते हैं, जबकि यह एक गहन और व्यापक अवधारणा है।
प्रश्न 5: लोगों में जागरूकता बढ़ाने में वित्तीय पत्रकारों की क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर: आज लोग पढ़ना बंद कर चुके हैं। यदि आप पढ़ेंगे, तो ही ज्ञान फैला पाएंगे। आधा ज्ञान लेकर आप केवल अधूरी जानकारी ही देंगे। अगर आप चाहते हैं कि आपके दर्शक या पाठक सही जानकारी पाएं, तो आपको पढ़ना होगा। आज के दौर में प्रिंट मीडिया भी प्रासंगिक है। हर किसी को रोज़ कम से कम 20-30 मिनट अखबार पढ़ना चाहिए। इससे आपकी शब्दावली (vocabulary) मजबूत होगी और लेखन में मदद मिलेगी।