Bharat Bandh -भारत बंद. बाजार बंद, सड़कों पर हंगामा, रेल सेवाएं प्रभावित – जानें किस राज्य में कैसा रहा असर
21 अगस्त 2024,नई दिल्ली- सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ पर दिए गए फैसले के विरोध में बुधवार को भारत बंद का आयोजन किया गया। इस बंद का असर कई राज्यों में देखने को मिला, जहां सड़कें, बाजार और रेल सेवाएं बाधित रहीं। बिहार, झारखंड, और ओडिशा में प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेलवे ट्रैफिक को अवरुद्ध किया, जबकि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब में भी विभिन्न स्थानों पर बंद का प्रभाव देखा गया।
बिहार और झारखंड में व्यापक असर–
बिहार और झारखंड में बंद का व्यापक प्रभाव देखा गया। दुमका में भीम आर्मी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सड़क और दुकानों को बंद कराया। नालंदा में प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेलवे ट्रैफिक को बाधित किया। पटना, दरभंगा, और अन्य जगहों पर भी प्रदर्शनकारियों ने सड़क और रेल सेवाओं को बाधित किया, जिससे पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा।
उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन–
उत्तर प्रदेश में भी बंद का असर दिखा। लखनऊ में आंबेडकर चौक पर बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रयागराज और आगरा में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। हापुड़ में दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर जाम लगाया गया।
राजस्थान में मिला-जुला असर–
राजस्थान में बंद का मिला-जुला असर देखा गया। जयपुर और अजमेर जैसे प्रमुख शहरों में बाजार बंद रहे, और सड़कों पर वाहनों की संख्या कम रही।
पंजाब और हरियाणा में नहीं दिखा खास असर–
पंजाब और हरियाणा में बंद का कोई खास असर नहीं दिखा। हालांकि, कुछ स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन सामान्य जनजीवन पर इसका प्रभाव सीमित रहा।
ओडिशा में रेल और सड़क यातायात आंशिक रूप से प्रभावित–
ओडिशा में बंद के कारण रेल और सड़क यातायात आंशिक रूप से बाधित रहा। भुवनेश्वर और संबलपुर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों को रोका, जबकि सड़कों पर यात्री बसें नहीं चलीं।
असम में सामान्य जनजीवन–
असम में बंद का कोई असर नहीं दिखा। राज्य भर में सामान्य जनजीवन रहा और सभी सेवाएं सुचारू रूप से चलीं।
विपक्षी दलों का समर्थन–
भारत बंद को समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और अन्य विपक्षी दलों ने समर्थन दिया। बहुजन समाज पार्टी ने भी इस बंद का समर्थन किया था।
भारत बंद का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में किया गया था, जिसे विभिन्न दलित और आदिवासी संगठनों ने बुलाया था।