Afcons Infra IPO: शापूरजी पलोनजी ग्रुप की कंपनी का आईपीओ खुला, जानें जीएमपी के बारे में
25 अक्टूबर 2024, शापूरजी पलोनजी ग्रुप की प्रमुख कंपनी एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का आईपीओ बोली के लिए खुल चुका है। निवेशक 29 अक्टूबर 2024 तक इस आईपीओ में बोली लगा सकते हैं। इसका प्राइस बैंड 440 रुपये से 463 रुपये के बीच निर्धारित किया गया है।
कंपनी क्या करती है
महाराष्ट्र की शापूरजी पलोनजी ग्रुप के अंतर्गत एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स का निर्माण करती है, जैसे कि अबू धाबी का मंदिर, कोलकाता का अंडरवाटर मेट्रो और जम्मू-कश्मीर का चिनाब ब्रिज। आईपीओ में 10 रुपये के शेयर का प्राइस बैंड 440 से 463 रुपये है। निवेशक इस आईपीओ में एक लॉट में 32 शेयरों के लिए बोली लगा सकते हैं। इसमें 1,250 करोड़ रुपये के नए शेयर निर्गम और प्रमोटर गोस्वामी इंफ्राटेक द्वारा 4,180 करोड़ रुपये तक की बिक्री पेशकश (ओएफएस) शामिल है। वर्तमान में एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रमोटर और उनके समूह की इकाइयों की 99% हिस्सेदारी है।
कंपनी विस्तार की योजना
इस आईपीओ से प्राप्त राशि का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा: 80 करोड़ रुपये निर्माण उपकरण खरीदने, 320 करोड़ रुपये दीर्घकालिक कार्यशील पूंजी के लिए, 600 करोड़ रुपये कर्ज चुकाने और बाकी सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों में खर्च किया जाएगा। एफकॉन्स के पास जटिल और चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने का व्यापक अनुभव है, जो इसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं का हिस्सा बनाता है।
जीएमपी की स्थिति
ग्रे मार्केट में एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों की वर्तमान मांग मध्यम स्तर पर है। शुक्रवार की सुबह लगभग आठ बजे इसके एक शेयर की बोली 523 रुपये थी। यदि प्राइस बैंड के ऊपरी स्तर 463 रुपये को इश्यू प्राइस माना जाए, तो इस समय एक शेयर पर 60 रुपये या 12.96% का प्रीमियम दर्शाया जा रहा है।
निवेश का निर्णय
शेयर बाजार के अधिकांश विशेषज्ञ इस आईपीओ को सकारात्मक मानते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड शापूरजी पलोनजी ग्रुप की एक स्थापित कंपनी है, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड प्रूवड है। इसलिए, दीर्घकालिक निवेश के लिए इस आईपीओ में पैसे लगाए जा सकते हैं। कंपनी के पास जटिल ईपीसी प्रोजेक्ट्स के लिए भी सक्षम प्रबंधन है, और इसके आर्डर बुक में 31,747 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स 12 देशों में फैले हुए हैं।